Ko Code : 11015088
Name : HARPAL MAHURE
District : Raigad
Zone : Raigad
State : Maharashtra
Link Village: Rees
Link Branch : WASAMBE MOHOPADA
Link Branch ID : 12350
HARPAL MAHURE has been successfully operating a Customer Service Point at Rees and Linked with Branch WASAMBE MOHOPADA for close to 4 years now. Rees is a village and Tehsil headquarters in Raigad, which is a subdivision of Raigad district that is in the Indian state of Maharashtra. Rees has a population close to 50,000. The key highlights of her achievements are as follows
Ko Code : 11015783
Name : Chittaranjan Ramsakha Thakur
Date of Birth : 01ST May 1985
District : Thane (Main)
Zone : Navi Mumbai
State : Maharashtra
Link Branch : Virar West
Link Branch ID : 01340
Chittaranjan Ramsakha Thakur has been successfully operating a Customer Service Point at Virar West for close to 1.5 years now. Virar West is a town and Tehsil headquarters in Thane, which is a subdivision of Navi Mumbai district that is in the Indian state of Maharashtra. Virar West has a population close to 7,00,000. The key highlights of his achievements are as follows:
Ko Code : 11150096
Name : Abhay Kumar
Village : Bishnupur
District : Sitamarhi
Base Branch : Runi Saidpur
Contact : 9097179200
Jan'16 : Rs.20,674.97
Feb'16 : Rs.14,837.26
Mar'16 : Rs.10,996.08
Total : Rs.46,508.31
Mr. Abhay Kumar is a Bank Mitra (BCA) from Bishnupur village of Sitamarhi district of Bihar. Before joining as a Bank Mitra, Abhay was working as a electrical mechanic and also ran a Telephone booth.
He is an active BCA since he is inclined towards improving the lives of his villagers. In fact, he opened more than 1200 accounts in just 4 months of his becoming a Bank Mitr. He maintains good relationship with all the customers. He starts offering his services since early in the morning from 7:30 AM and operates it till 4 PM. He also gives service on days when Banks remain closed on occasions like Holi, etc. His villagers look up to him as his confidante for all their banking needs, and he ensures no customer leaves him without successfully availing the services. Being a local citizen has given him the advantage to win the trust of his villagers. Hence, they do not hesitate to keep their money with him
He has a family of eight to look after. After becoming Sahaj Mitr, he has earned respect and fame in her village. Today people in his nearby village also recognizes him. He gets immense satisfaction when he sees his citizen are availing the services which were difficult earlier. He says, “I feel glad to help my villagers come under the ambit of the financial inclusion system. I am also thankful to the branch officials of Runi Saidpur branch for the co-operation they lend.”
बी. सी. कोड 8734000002
नाम श्री नौशाद शेख मुस्तफा गुन्डवाने
Village Serukhahi
District Muzaffarpur
नंदागौमुख शाखा नागपुर अंचल
मोबाइल नं. 9730346070
नये बचत खाते खोले (101) 227
नये नोफ्रिल बचत खाते खोले (104/105/181/182) 252
जमा संग्रहण खाते 146 जमा राशि रु.97.93 लाख
ऋण वितरण खाते 92 ऋण राशि रु.48.00 लाख
नए.पी.ए. बसूली कुल 10 खातो में रू. 0.50 लाख
राइट ऑफ बसूली कुल 5 खातो में रू. 1.10 लाख
हैल्थ कोड 11 एवं 12 में बसूली कुल 283 खातो में रू. 88.30 लाख
सुड लाइफ बीमा खाते 2 बीमा राशि रु. 0.65 लाख
जीवन बीमा सुरक्षा पॉलिसी कुल 422 (PMJSY-242/PMJJY-177/APY-3)
वर्ष 2015-16 में कमीशन प्राप्त रू. 2.40 लाख (औसत रु.0.20 लाख प्रतिमाह)
बचत खाते में रुपे कार्ड वितरण 107
वर्ष 2015-16 में कुल ट्रानजेक्सन 8136 राशि रु.313.53 लाख
श्री नौशाद शेख मुस्तफा गुन्डवाने एक ईमानदार मेहनती व्यक्ति साबित हुए हैं. उनको आवंटित किए गए ग्रामों में उनका सहयोग बहुत ही उल्लेखनीय रहा है. शाखा द्वारा समय समय पर किए जाने वाले बैंक के विभिन्न कार्यक्रमों मे उनका अच्छा सहयोग रहा है.
“कहानी सफलता की”
बैंक ऑफ इंडिया, कोल्हापुर अंचल की नेसरी शाखान्तार्गत सह्याद्रि की नीलम पर्वतमाला के बीच मरकत मणि सा उज्ज्वल हडलगे गाँव और बगल में कंचन-करधनी सी कल-कल बहती घटप्रभा नदी. धरती माँ का ऐसा अनुपम खजाना और ग्रामीणों का बारिश जाते ही महानगरों की ओर पलायन शुरू. वहां महानगरों की दौडती-भागती ज़िंदगी, अपनी मिटटी से दूर होने की पीड़ा , कम आमदनी और भीड़ में अकेला होने का दमघोंटू एहसास. लेकिन क्या करें? आखिर पेट का सवाल है? यही तो हर एक की नियति है !
मूल रूप से नेसरी के एक उच्च शिक्षित (बी.ए.+एम.लिब) नवोत्साही युवा दयानंद पांडुरंग गंगली आज से 6 वर्ष पूर्व जो तब केवल 24 वर्ष के थे, रोजगार की तलाश में थे. हर किसी की तरह उन्हें भी सह्याद्रि की गोद में उछलता-खेलता अपना गाँव-घर प्यारा था. अतः वही एक कृषि सेवा केंद्र में काम करने लगे. ऐसे में किसानों से मधुर सम्बन्ध बनना तो निश्चित था ही साथ ही पढ़े-लिखे होने के कारण किसानों के बैंक संबंधी काम भी स्वयं ही निःस्वार्थ भाव से करने लगे. बैंक स्टाफ भी उनसे अच्छी तरह परिचित हो गया और एक दिन शाखा प्रबंधक ने उन्हें व्यवसाय समन्वयक (बीसी) के बैंक में निकले पदों से अवगत कराया और वे निर्धारित प्रक्रिया से गुजरकर बीसी बन गए.
जिन पांच गाँवों- हडलगे , यमेहट्टी, तारेवाड़ी,दोनेवाडी और कालम्मावाडी का जिम्मा उन्हें सौंपा गया जिनमें कुल 880 परिवार और लगभग 5300 की जनसँख्या है, उनका उन्होंने गहन सर्वेक्षण किया जैसे गाँवों की जनसँख्या, खेती योग्य भूमि, सिंचाई की व्यवस्था, लोगों का व्यवसाय इत्यादि और पाया कि लोग खेती का मौसम ख़त्म होते ही महानगरों की ओर कूच कर जाते हैं. खेती योग्य भूमि भी बहुत है लेकिन उसमें से सिर्फ ¼ का ही उपयोग हो रहा है जबकि सिंचाई की व्यवस्था होने पर वे इस भूमि का उपयोग गन्ने जैसी नकदी फसल उगाने के लिए कर सकते हैं और वर्ष भर गाँव में ही रहकर रोजगार पा सकते हैं तथा उनकी आय, जीवन स्तर सब सुधर सकता है.
ग्रामीण जब छुट्टियों में अपने घर आते तो दयानंद अपने सौम्य मुख, मधुर मुस्कान और मीठी वाणी में बैंक द्वारा कृषि संबंधी दिए जा रहे ऋणों के बारे में ग्रामीणों को बताते, उस ऋण का निवेश, उससे प्राप्त आय से ऋण चुकौती और अतिरिक्त आय कैसे बनाई जाए ? सब कुछ विस्तार में समझाते. ग्रामीणों ने पानी न होने का रोना रोया तो उन्होंने कृषि ऋण योजना के अंतर्गत सिंचाई हेतु नदी से खेत तक पड़ने वाली पाईप लाइन के ऋण के बारे में अर्ह किसानों को बताया. कुल 7 अर्ह किसानों ने अमृतसलिला घटप्रभा से अपने खेतों तक बैंक ऑफ़ इंडिया की सिंचाई योजना के तहत पाईप लाइन लगवाई और श्री दयानंद की प्रेरणा से लगभग 80 अन्य किसानों ने उन पाईप लाइन से कुछ वार्षिक शुल्क चुकाकर सिंचाई की व्यवस्था अपने खेतों में की. हडलगे गाँव के श्री अनिल पाटिल की सिर्फ 4 एकड़ भूमि में पहले प्रति वर्ष मात्र 20-40 टन गन्ना होता था किन्तु सिंचाई की व्यवस्था होने पर उनकी फसल में 700% तक वृद्धि हुई और 140 टन तक गन्ने का उत्पादन होने लगा. यह एक टर्निंग पॉइंट था. ग्रामीण श्री दयानंद की सलाह और बैंक ऑफ़ इंडिया की जन कल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित हो बैंक ऑफ़ इंडिया से कृषि संबंधी ऋण लेने लगे. गाँव का काया पलट होने लगा, पलायन रुक गया और सह्याद्रि की चोटियों से नीचे देखने पर गाँव में चारो ओर हरित खेतों के समचतुर्भुजीय भूमिखंड दिखाई देने लगे. कहाँ सिर्फ खेती योग्य भूमि का 50-60 एकड़ ही उपयोग में आता था और कहाँ अब 350-380 एकड़ भूमि पर गन्ने की खेती होने लगी. यही नही प्रति एकड़ उत्पादकता में भी भारी वृद्धि हुई. यही हाल अन्य चार गाँवों का भी था. वहां भी समृद्धि छाने लगी. उन्होंने सिर्फ खेती पर ही ध्यान नही दिया बल्कि उससे जुड़े व्यवसायों की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट किया. खेती बढी, तो चारा बढ़ा और पशुपालन भी बढ़ने लगा. डेयरी व्यवसाय फलने-फूलने लगा.
यमेहट्टी ग्राम में वर्ष 2011 में सिर्फ 1 कुक्कुट पालन केंद्र था, सम्प्रति 14 के करीब कुक्कुट पालन केंद्र है.
एक बीसी के समस्त कर्तव्यों का निर्वहन श्री दयानंद पूरी लगन से करते हैं. हैण्ड हेल्ड डिवाइस द्वारा ग्रामीण ग्राहकों के सभी आर्थिक संव्यवहार स्वयं करते हैं जिसका प्रतिमाह 10 लाख रुपये का टर्न ओवर है. अपने क्षेत्र से प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत उन्होंने 2300 खाते हमारे बैंक को दिए. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा में 972, जीवन ज्योति में 560, अटल पेंशन में 30 खाते खुलवाये. अनौपचारिक रूप से नेसरी शाखा के 13 गाँवों से लगभग 11 हज़ार जनधन खाते खुलवाने में अपना प्रत्यक्ष-परोक्ष योगदान दिया. प्रत्येक ग्राम पंचायत, डेयरी संस्थाओं और किसानों को घर-घर स्वयं जाकर बैंक की योजनायें और उनसे होने वाले लाभ गिनाते हैं.
उनके पाँचों गाँवों में अनर्जक आस्तियां(एनपीए) और अपलेखन (राईट ऑफ) शून्य है. समय पर ऋणकर्ता किश्ते चुकाते हैं और यह सब संभव हुआ है श्री दयानंद द्वारा लोगों को नियमित ऋण चुकौती का महत्त्व समझाने के कारण.
कृषि ऋण योजनाओं में स्वर्ण ऋण की भी एक योजना है जिसमें पहले केवल 125 खाते थे अब उनके प्रयास से 573 हो चुके हैं. अकेले स्वर्ण ऋण के माध्यम से बैंक ने एक करोड़ रुपये संवितरित किया है. कारोबारियों के 54 चालू खाते उनके माध्यम से बैंक को मिले हैं. 14 आवर्ती खातों से प्रतिमाह बैंक को 72 हज़ार की आमदनी हो रही है. वे अब तक 700 किसानों को फसल ऋण (केसीसी और जीसीसी) के अंतर्गत ऋण उपलब्ध करा चुके हैं. वसूली और अनुवर्ती कार्रवाई में शाखा का पूरा सहयोग करते हैं.
इस क्षेत्र में नवम्बर से अप्रैल के बीच गन्ने की कटाई होती है और चीनी मिल मालिक, किसानों को उसका भुगतान करते हैं. पहले इस भुगतान से बैंक में प्रति सप्ताह 3-4 लाख रुपये ही आते थे किन्तु श्री दयानंद के द्वारा किसानों के खाते बैंक ऑफ़ इंडिया में लाये गए और अब प्रति सप्ताह 25 लाख की राशि बैंक में जमा हो जाती है जो अपने आप में महती उपलब्धि हैं.
ग्राम हडलगे में श्री दयानंद ने बैंक ऑफ़ इंडिया की एक अति सूक्ष्म शाखा स्वतंत्रता दिवस के पुनीत पर्व पर सन 2012 में खोली थी जहाँ बैंक का नाम पट्ट, सूचना पट्ट, विभिन्न योजनाओं के बैनर्स लगा रखे है और यहाँ से वे ग्रामीणों के लिए अनेक सुविधाओं का सञ्चालन करते हैं. वे बैंक की योजनाओं का खुले दिल से ऐसे प्रचार करते हैं जैसे यह बैंक ही उनका सब कुछ है.
श्री दयानन्द के शब्दों में “ बैंक के लिए इतना कुछ कर पाना चुनौतीपूर्ण काम था. आज से 6 साल पहले यहाँ सहकारी संस्थाओं का दबदबा था तथा इन्हें स्थानीय राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त था, ऐसे में ग्रामीणों की मानसिकता को बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ मोड़ना कठिन काम था किन्तु यदि सरकार और बैंक की जन-कल्याणकारी योजनाओं को ठीक तरह से उन्हें समझाया जाए तो वे स्वतः अपना भला पहचान लेते हैं. शाखा और आंचलिक कार्यालय के वित्तीय समावेशन विभाग से उन्हें निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन मिलता रहता है.”
30 वर्षीय श्री दयानंद ने दिसंबर 2010 में कार्य ग्रहण किया और प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते-जूझते आज वे खुद को और बैंक ऑफ़ इंडिया को नेसरी क्षेत्र में इस मुकाम पर ले आये हैं कि उनकी और बैंक की एक अलग पहचान बन चुकी है. हमारा बैंक क्षेत्र में अव्वल है. लोग श्री दयानंद के पास आर्थिक मामलों में सलाह लेने आते हैं और उन्हें लोगों की मदद कर अपूर्व संतोष मिलता है.
वे कहते हैं प्रारंभ में उनकी आमदनी 3500-4000 थी किन्तु आज 15 से 25 हज़ार तक पहुँच गई है उन्हें लगता है उनके करियर को, जीवन को सही दिशा मिल चुकी है. वे बैंक और जनता के बीच एक दृढ सेतु बने हुए हैं. वित्तीय समावेशन की जमीनी सफलता के लिए हमें आज ऐसे लाखों दयानन्दों की ज़रूरत है.